भूतिया लड़कों का हॉस्टल : डर के मारे उसने अपनी आँखें बंद कर लीं
पहली रात जब आदित्य सोने की कोशिश कर रहा था, उसने सुना कि किसी ने धीरे-धीरे उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया।
भूतिया लड़कों का हॉस्टल
कहानी की शुरुआत होती है एक छोटे से शहर में स्थित "सेंट जोसेफ्स बॉयज़ हॉस्टल" से। यह हॉस्टल एक पुरानी इमारत में बना हुआ था, जो ब्रिटिश काल की याद दिलाती थी। आसपास के लोग इस हॉस्टल के बारे में भयानक कहानियाँ सुनाते थे, लेकिन बच्चों के माता-पिता इन कहानियों को केवल अफवाह मानकर नजरअंदाज कर देते थे।
यह हॉस्टल शहर के सबसे पुराने बोर्डिंग स्कूल से जुड़ा था, और यहाँ रहने वाले अधिकतर लड़के अपने घरों से दूर, अलग-अलग शहरों से आते थे। छात्रों में एक नया छात्र, आदित्य, भी शामिल था, जो अपनी पढ़ाई के लिए पहली बार यहाँ आया था। आदित्य एक समझदार और शांत स्वभाव का लड़का था, लेकिन हॉस्टल में कदम रखते ही उसे एक अजीब सा अहसास हुआ, जैसे कि कोई उसे देख रहा हो।
हॉस्टल की पुरानी इमारत में अजीब सी खामोशी छाई रहती थी। दीवारों पर उखड़ी हुई पेंट और जाले लटके हुए थे। गलियारों में अंधेरा और घुटन भरी हवा चलती थी। बच्चों के कमरे छोटे और तंग थे, और उनमें पुरानी लकड़ी की अलमारियां और बेड लगे हुए थे। लेकिन आदित्य को सबसे अजीब बात यह लगी कि रात होते ही हॉस्टल में एक अजीब सी हलचल शुरू हो जाती थी।
पहली रात जब आदित्य सोने की कोशिश कर रहा था, उसने सुना कि किसी ने धीरे-धीरे उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया। उसने सोचा कि शायद कोई अन्य छात्र होगा, लेकिन जब उसने दरवाजा खोला, तो वहाँ कोई नहीं था। उसने इसे अपना वहम मानकर नजरअंदाज कर दिया और फिर से सोने की कोशिश की। लेकिन कुछ ही देर बाद उसे अपने कमरे के बाहर किसी के चलने की आवाजें सुनाई दीं। उसने हिम्मत जुटाकर देखा, लेकिन उसे कुछ भी नहीं दिखा।
अगले दिन आदित्य ने अपने दोस्तों को इस बारे में बताया, तो उन्होंने हंसते हुए इसे मजाक में उड़ा दिया। लेकिन एक पुराने छात्र, रघु, ने आदित्य को एक कोने में बुलाकर कहा, "यहाँ कुछ गलत है। इस हॉस्टल में कुछ अजीब और डरावनी घटनाएँ होती रहती हैं। पिछले साल एक लड़के ने खुद को कमरे में बंद कर लिया था और उसने किसी से बात करनी बंद कर दी थी। कुछ दिनों बाद वह पागल हो गया और उसे हॉस्टल से निकाल दिया गया।"
आदित्य इस बात को सुनकर घबरा गया, लेकिन वह अपने डर को जाहिर नहीं करना चाहता था। उसने खुद से वादा किया कि वह डर को काबू में रखेगा। लेकिन रातें अब और भी डरावनी हो गईं। आदित्य को रात में दरवाजे के खटखटाने के अलावा कभी-कभी किसी के हंसने की आवाजें भी सुनाई देती थीं। वह जब भी बाहर जाकर देखता, उसे कुछ भी दिखाई नहीं देता।
एक रात, आदित्य को लगा कि वह अकेला नहीं है। उसके कमरे में कोई और भी है। उसने महसूस किया कि उसके बिस्तर के पास कोई खड़ा है। डर के मारे उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, लेकिन तभी उसे किसी के ठंडी सांसें अपनी गर्दन पर महसूस हुईं। उसने डरते-डरते आँखें खोलीं, तो देखा कि एक धुंधला सा चेहरा उसके सामने झुका हुआ था। वह चेहरा भयानक था, आँखें गहरी और काली थीं, और होंठ एक अजीब सी मुस्कान में खिंचे हुए थे।
आदित्य जोर से चिल्लाया, लेकिन उसकी आवाज गले में ही घुटकर रह गई। वह डर के मारे बेहोश हो गया। अगली सुबह जब उसने आँखें खोलीं, तो वह अपने बिस्तर पर था, लेकिन उसकी हालत खराब थी। वह कांप रहा था, और उसने पूरी रात जागकर बिताई।
इस घटना के बाद, आदित्य ने फैसला किया कि वह इस हॉस्टल में और नहीं रहेगा। उसने अपने माता-पिता को फोन किया और उन्हें पूरी कहानी सुनाई। माता-पिता ने तुरंत हॉस्टल आकर उसे वहां से निकाल लिया।
आदित्य के जाने के बाद, हॉस्टल की और भी डरावनी कहानियाँ सामने आने लगीं। धीरे-धीरे, लोग समझ गए कि सेंट जोसेफ्स बॉयज़ हॉस्टल में कुछ ऐसा था जो भयानक और खतरनाक था। आखिरकार, स्कूल प्रशासन ने हॉस्टल को बंद करने का निर्णय लिया।
आज भी, उस हॉस्टल की इमारत वीरान पड़ी है, और कोई भी वहां जाने की हिम्मत नहीं करता। गाँव के लोग अब भी आदित्य की कहानी सुनाते हैं, और कहते हैं कि हॉस्टल में अभी भी भूतों का बसेरा है। वो लोग जो इस कहानी को अफवाह मानते थे, अब भी उस पुरानी इमारत के पास से गुजरते समय अपने कदम तेज कर लेते हैं।