चुड़ैल की कुटिया : कुटिया के अंदर का दृश्य

कभी किसी औरत के रोने की आवाज, तो कभी अचानक हंसी की गूंज।

चुड़ैल की कुटिया : कुटिया के अंदर का दृश्य

चुड़ैल की कुटिया

राजस्थान के एक छोटे से गांव में एक पुरानी, जर्जर कुटिया थी, जिसे सभी "चुड़ैल की कुटिया" के नाम से जानते थे। यह कुटिया गांव के बाहरी इलाके में एक घने जंगल के बीच स्थित थी। वर्षों से यह कुटिया वीरान थी, और किसी ने उसमें रहने का साहस नहीं किया। गांव के लोग मानते थे कि इस कुटिया में एक भयंकर चुड़ैल का वास था, जो रात के अंधेरे में बाहर निकलती थी और जंगल में भटकने वालों को अपनी गिरफ्त में ले लेती थी। इस डर से, कोई भी गांववासी रात के समय उस दिशा में जाने की हिम्मत नहीं करता था।

रहस्यमयी घटनाओं की शुरुआत

गांव के लोग चुड़ैल की कुटिया के आसपास कई अनहोनी घटनाओं के बारे में बातें करते थे। कहा जाता था कि जो भी उस कुटिया के पास गया, वह कभी वापस नहीं लौटा। कुटिया के आसपास की जमीन पर सूखे हुए पेड़, जली हुई घास, और विचित्र निशान दिखाई देते थे। लोग कहते थे कि कुटिया से अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती थीं—कभी किसी औरत के रोने की आवाज, तो कभी अचानक हंसी की गूंज।

वहीं गांव के युवाओं का एक समूह, जिसमें चार दोस्त शामिल थे—अजय, विक्रम, राघव और सुमन—इन बातों को अंधविश्वास मानते थे। उन्हें यह सब बस कहानियों और बुजुर्गों की गप्पबाजी लगती थी। एक रात, जब गांव में पूरी तरह से अंधेरा छा गया और गांव के लोग अपने घरों में सो रहे थे, इन चारों ने फैसला किया कि वे कुटिया में जाकर इस रहस्य का पता लगाएंगे।

चुड़ैल की कुटिया की ओर यात्रा

अजय, विक्रम, राघव और सुमन अपने साथ टॉर्च, कुछ रस्सियां, और हिम्मत लेकर कुटिया की ओर बढ़े। जैसे-जैसे वे कुटिया के करीब पहुंचे, हवा अचानक ठंडी हो गई और आसपास के पेड़ों से सरसराहट की आवाजें आने लगीं। जंगल में पक्षियों की आवाजें भी खामोश हो गईं, मानो वे भी इस भयावह यात्रा का पूर्वाभास कर रहे हों।

जब वे कुटिया के सामने पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि कुटिया की खिड़कियां टूटी हुई थीं और दरवाजा आधा खुला हुआ था। कुटिया के अंदर से हल्की-हल्की रोशनी झलक रही थी, जैसे कि कोई दीपक जल रहा हो। लेकिन कुटिया वीरान होने के कारण वहां दीपक जलने का कोई कारण नहीं था। यह दृश्य देखकर सुमन के मन में डर का संचार होने लगा, लेकिन दोस्तों के सामने उसने खुद को साहसी दिखाया और अंदर जाने की जिद की।

कुटिया के अंदर का दृश्य

चारों दोस्तों ने हिम्मत जुटाई और दरवाजे को धक्का देकर अंदर प्रवेश किया। कुटिया के अंदर का दृश्य और भी विचित्र था। दीवारों पर जालों से ढके हुए चित्र लगे थे, जो किसी प्राचीन समय की तस्वीरें लग रही थीं। फर्श पर एक गोल घेरे के भीतर विचित्र प्रतीक बने हुए थे, जिनसे एक अजीब सी ऊर्जा महसूस हो रही थी। एक कोने में एक पुरानी लकड़ी की मेज थी, जिस पर एक पुराने जमाने का दीपक जल रहा था। दीपक की लौ शांत थी, लेकिन उसकी रोशनी से पूरे कमरे में अजीब सी परछाइयां बन रही थीं।

जब वे चारों उस घेरे के पास पहुंचे, तो अचानक एक ठंडी हवा का झोंका आया और दीपक की लौ बुझ गई। अब वहां घना अंधेरा छा गया। सुमन ने महसूस किया कि जैसे किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा हो। उसने डरते हुए पीछे देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। उसका दिल तेजी से धड़कने लगा और उसने अपने दोस्तों को यह बताने की कोशिश की, लेकिन उसके मुंह से आवाज नहीं निकली।

चुड़ैल का प्रकट होना

अचानक, कमरे में एक जोरदार चीख गूंज उठी, जिससे चारों दोस्त सन्न रह गए। चीख इतनी जोरदार थी कि उनके कानों में गूंजने लगी। उन्होंने देखा कि एक काले धुएं के बादल से चुड़ैल का आकार उभर रहा था। उसकी आंखें जलती हुई कोयले जैसी लाल थीं, और उसके बिखरे बाल हवा में तैर रहे थे। उसका चेहरा भयावह था, जैसे उसने सदियों से दर्द और क्रोध सहा हो। वह धीरे-धीरे चारों दोस्तों की ओर बढ़ने लगी।

डर से कांपते हुए, विक्रम ने भागने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने दरवाजे की ओर कदम बढ़ाया, दरवाजा जोर से बंद हो गया। अब वे चारों कुटिया के अंदर फंस चुके थे। चुड़ैल ने अपने हाथों को उठाया, और हवा में अजीब सी फुसफुसाहट सुनाई देने लगी, जैसे कोई जादू कर रहा हो।

अचानक, अजय के पैरों के नीचे की जमीन हिलने लगी, और वह नीचे गिर पड़ा। उसने महसूस किया कि उसके शरीर में एक ठंडी लहर दौड़ रही थी, जैसे कि कोई उसकी आत्मा को खींचने की कोशिश कर रहा हो। विक्रम और राघव ने उसे उठाने की कोशिश की, लेकिन चुड़ैल ने एक भयंकर चीख के साथ उन्हें पीछे धकेल दिया।

अंतहीन आतंक

सुमन ने हिम्मत जुटाई और अपने दोस्तों को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन चुड़ैल ने उसकी ओर उंगली उठाई और सुमन को हवा में उठा लिया। वह चीखना चाह रही थी, लेकिन उसकी आवाज घुट गई। चुड़ैल ने उसे दीवार की ओर फेंक दिया, और वह बेहोश हो गई।

जब सुमन को होश आया, तो उसने पाया कि वह कुटिया के बाहर जंगल में अकेली थी। उसके दोस्त कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे। वह डर और उलझन में गांव की ओर भागी। गांव में पहुंचकर उसने लोगों को सारी घटना बताई, लेकिन किसी ने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया।

अगले दिन, जब गांववासी कुटिया की ओर गए, तो उन्हें वहां सिर्फ अजय, विक्रम और राघव की राख मिली। कुटिया के अंदर कुछ नहीं था, सिर्फ दीवारों पर उन तीनों की परछाइयां थीं, जो अब हमेशा के लिए वहां छप गई थीं।

सुमन ने उस दिन के बाद से कभी उस कुटिया की ओर नहीं देखा, लेकिन उसे अब भी रात के समय कभी-कभी अपने दोस्तों की आवाजें सुनाई देती थीं, जो उसे चुड़ैल की कुटिया से बुला रही थीं।

कहते हैं कि उस घटना के बाद से चुड़ैल की कुटिया और भी अधिक खतरनाक हो गई, और अब वहां जाने का साहस किसी में नहीं था। वहां अब सिर्फ सन्नाटा और अजीब सी हवाओं की सरसराहट सुनाई देती है, जो उन खोए हुए दोस्तों की याद दिलाती है।