पिशाचिनी : शरीर में डर की लहर दौड़ गई

अचानक, पिशाचिनी ने उसे जमीन पर पटक दिया और उसके ऊपर झुककर बुरी तरह से हंसने लगी

पिशाचिनी : शरीर में डर की लहर दौड़ गई

पिशाचिनी 

रात का सन्नाटा अपने चरम पर था। एक छोटा सा गाँव, जिसे लोग "नागेश्वर" के नाम से जानते थे, घने जंगलों के बीच बसा हुआ था। यह गाँव अपने अजीब और भयानक किस्सों के लिए कुख्यात था। गाँववालों का मानना था कि उस जंगल में एक "पिशाचिनी" का वास है, जो अंधेरे के बाद शिकार की तलाश में निकलती है। लोग कहते थे कि वह पिशाचिनी कभी इंसान हुआ करती थी, लेकिन एक शाप के कारण वह इस भयानक रूप में बदल गई थी।

इस गाँव में एक लड़की, रमा, रहती थी, जिसे हमेशा से इन कहानियों में रुचि थी। वह अपने दोस्तों के साथ जंगल में जाने की सोचती थी, लेकिन डर के कारण कभी हिम्मत नहीं जुटा पाई। एक रात, रमा के मन में एक अजीब सा उत्साह जागा, और उसने ठान लिया कि वह उस पिशाचिनी के रहस्य को जानकर रहेगी। वह अकेले ही जंगल की ओर चल पड़ी, बिना यह सोचे कि उसके आगे क्या हो सकता है।

जंगल के अंदर गहरी अंधेरी रात थी, और हर तरफ घना अंधकार छाया हुआ था। रमा ने अपने हाथ में एक टॉर्च पकड़ी हुई थी, लेकिन उसकी रोशनी से ज्यादा दूर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। वह धीरे-धीरे आगे बढ़ती गई। अचानक, उसे लगा कि कोई उसके पीछे चल रहा है। उसने पलटकर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। वह थोड़ा घबराई, लेकिन उसने अपने डर को नकारते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया।

कुछ ही देर में उसे एक बड़ी पेड़ के नीचे कुछ हलचल सुनाई दी। उसने टॉर्च की रोशनी उस ओर मोड़ी, और जो उसने देखा, वह उसकी सोच से परे था। वहाँ एक भयानक महिला खड़ी थी। उसका चेहरा सफेद और विकृत था, उसकी आँखें काली और खोखली थीं, और उसके लंबे नाखून खून से सने हुए थे। रमा को तुरंत समझ में आ गया कि वह पिशाचिनी के सामने खड़ी है।

रमा का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, और उसके शरीर में डर की लहर दौड़ गई। उसने भागने की कोशिश की, लेकिन उसके पैर जैसे जमीन में धंस गए हों। पिशाचिनी ने एक खौफनाक हंसी के साथ उसकी ओर देखा और धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगी। रमा की साँसें थमने लगीं, और वह समझ गई कि अब वह यहाँ से बच नहीं पाएगी।

पिशाचिनी ने रमा के पास आकर उसकी गर्दन को पकड़ लिया और उसकी आँखों में गहरे घूरने लगी। उसकी आँखों में असीम क्रोध और दर्द था। रमा ने अपनी पूरी ताकत से चीखने की कोशिश की, लेकिन उसकी आवाज गले में ही घुट गई। अचानक, पिशाचिनी ने उसे जमीन पर पटक दिया और उसके ऊपर झुककर बुरी तरह से हंसने लगी। रमा का शरीर अब पूरी तरह से सुन्न हो चुका था, और उसकी आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा।

रमा की चीखों के साथ ही जंगल में एक सन्नाटा छा गया। अगली सुबह, गाँव वालों ने रमा की लाश को उसी जंगल के पास पाया, जहाँ उसके चेहरे पर भयानक डर की छाप थी। गाँव वाले समझ गए कि पिशाचिनी ने एक और शिकार कर लिया है। उस दिन के बाद से, गाँव में कोई भी उस जंगल की ओर जाने की हिम्मत नहीं करता था। पिशाचिनी का आतंक अब भी उस जंगल में छाया हुआ था, और उसकी कहानी गाँववालों के दिलों में हमेशा के लिए जिंदा रह गई।