गणतंत्र दिवस : 26 जनवरी को ही मनाया जाता है - आज इसको आप पढ़ कर धन्य हो जायेंगे आपकी वो पुरानी यादें
इन सबके बीच क्या कभी आपके दिल में ये सवाल उठा है कि आखिर 26 जनवरी को ही हम ‘रिपब्लिक डे क्यों मनाते हैं?
नई दिल्ली: हम सभी अपना गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को हर साल की तरह इस बार भी मनाने के लिए तैयार हैं। इस साल हम अपना 73वां गणतंत्र दिवस सेलिब्रेट करने जा रहे हैं। इस खास दिन के लिए देश की राजधानी दिल्ली सहित देश के हर कोने में ज़ोरो-शोरो से तैयारियां की जाती हैं। स्कूल-कॉलेजों में इस दिन आयोजित होने वाले प्रोगाम के लिए बच्चे तैयारियों में जुट जाते हैं। इन सबके बीच क्या कभी आपके दिल में ये सवाल उठा है कि आखिर 26 जनवरी को ही हम ‘रिपब्लिक डे (Republic Day 2022) क्यों मनाते हैं? तो आइए जानते हैं।
असल में, भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 में भारत के संविधान को स्वीकार किया था, जबकि 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूरे देश में लागू हुआ था। यही वजह है कि हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। 26 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि 26 जनवरी 1929 को अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ कांग्रेस ने ‘पूर्ण स्वराज’ का नारा दिया था। इसके बाद से ही इस दिन को चुना गया था।
भारतमाता
भारतमाता
ग्रामवासिनी।
खेतों में फैला है श्यामल
धूल भरा मैला सा आँचल,
गंगा यमुना में आँसू जल,
मिट्टी की प्रतिमा
उदासिनी।
दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन,
अधरों में चिर नीरव रोदन,
युग युग के तम से विषण्णा मन,
वह अपने घर में
प्रवासिनी।
तीस कोटि संतान नग्न तन,
अर्ध क्षुधित, शोषित, निरस्र जन,
मूढ़, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन,
नत मस्तक
तरु तल निवासिनी!
स्वर्ण शस्य पर-पदतल लुंठित,
धरती सा सहिष्णु मन कुंठित,
क्रंदन कंपित अधर मौन स्मित,
राहु ग्रसित
शरदेंदु हासिनी।
चिंतित भृकुटि क्षितिज तिमिरांकित,
नमित नयन नभ वाष्पाच्छादित,
आनन श्री छाया शशि उपमित,
ज्ञान मूढ़
गीता प्रकाशिनी!
सफल आज उसका तप संयम,
पिला अहिंसा स्तन्य सुधोपम,
हरती जन मन भय, भव तम भ्रम,
जग जननी
जीवन विकासिनी!
दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान
भारत को आज़ादी मिलने के बाद संविधान सभा का गठन हुआ था। संविधान सभा ने अपना काम 9 दिसंबर 1946 से शुरू किया। दुनिया के इस सबसे बड़े लिखित संविधान को तैयार करने में 2 साल, 11 माह, 18 दिन लग गए थे। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान सौंपा गया, इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है।
कुछ और महत्वपूर्ण तथ्य
-26 जनवरी1950 में इस दिन ही भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था।
-26 जनवरी 1950 को सुबह 10.18 बजे भारत एक गणतंत्र बना। इस के छह मिनट बाद 10.24 बजे डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
-इस दिन पहली बार बतौर राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बग्गी पर बैठकर राष्ट्रपति भवन से निकले। इस दिन पहली बार उन्होंने भारतीय सैन्य बल की सलामी ली। पहली बार उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
जयशंकर प्रसाद हिन्दी भाषा के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक हैं। उनकी प्रयाण गीत -
हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती।
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती॥
अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो।
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो॥
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी।
सपूत मातृभूमि के- रुको न शूर साहसी॥
अराति सैन्य सिंधु में, सुवाडवाग्नि से जलो।
प्रवीर हो जयी बनो – बढ़े चलो, बढ़े चलो॥
भारत माता के वीर
हम भारत माता रे वीर कष्टों से ना घबराते।
आंधी हो चाहे तूफान हम आगे बढ़ते जाते।।
कफन हैं सर पर अपने।
हैं मंजिल अपने सपने।
हम सपनों को सच करने,आगे को बढ़ते जाते।
चाहे आसमान टूटे,
चाहे सब दुनिया रूठे,
हमने जिसका बीड़ा उठाया उसको पूरा कर जाते।
जान हथेली पर रखकर
हर पीढ़ा से हम लड़कर
आसमान के तारों को धरती पर हम ले आते।
चाहे आग दहकती हो,
चाहे आग बरसती हो,
अपने तन को झोंक आग में हम मंजिल को पा जाते।
बढ़कर कदम नहीं हटता,
सिर कटता पर ना झुकता,
आजायें यमराज मगर पथ से विचलित ना हो पाते।
हम भारत माता के वीर कष्टों से ना घबराते।
भारत माता की जय || भारत माता की जय || भारत माता की जय || भारत माता की जय ||