अस्पताल में डायन ने बुझाई अपनी हवस
कमरे के एक कोने से अजीब सी फुसफुसाहट सुनाई दी। उसने देखा कि कोने में एक अंधेरे से ढकी हुई आकृति खड़ी थी।
अस्पताल में डायन
एक छोटे से पहाड़ी कस्बे में एक पुराना अस्पताल था, जो एक समय में बहुत प्रसिद्ध हुआ करता था, लेकिन अब उसका अधिकांश हिस्सा वीरान हो चुका था। स्थानीय लोग कहते थे कि अस्पताल के पुराने हिस्से में एक डायन का वास है। वर्षों पहले, इस अस्पताल में कई रहस्यमयी मौतें हुई थीं, और लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि वहां एक बुरी आत्मा रहती है जो अपनी हवस बुझाने के लिए रात में मरीजों पर हमला करती है।
नए डॉक्टर का आगमन
डॉ. अर्जुन, एक युवा और होनहार डॉक्टर, हाल ही में उस अस्पताल में ट्रांसफर होकर आया था। वह विज्ञान में विश्वास करता था और किसी भी तरह के अंधविश्वास को बकवास मानता था। गांववालों द्वारा सुनाई गई डायन की कहानियों को भी उसने हंसी में उड़ा दिया। उसे नहीं पता था कि वह जल्द ही इन कहानियों का एक हिस्सा बन जाएगा।
एक दिन, अर्जुन की ड्यूटी अस्पताल के पुराने हिस्से में लगी, जहां अब शायद ही कोई मरीज जाता था। उस रात अस्पताल में सिर्फ एक मरीज, एक बूढ़ा आदमी, भर्ती था, जिसे पुरानी इमारत में शिफ्ट कर दिया गया था क्योंकि नए हिस्से में बेड खाली नहीं थे। अर्जुन ने सोचा कि यह एक आसान रात होगी, लेकिन उसे एहसास नहीं था कि वह किस तरह के खौफनाक अनुभव से गुजरने वाला है।
रात का सन्नाटा
रात का समय था, और अस्पताल के पुराने हिस्से में सन्नाटा पसरा हुआ था। अर्जुन अपनी ड्यूटी पर था, लेकिन नींद के कारण उसकी आंखें बंद होने लगीं। वह अपने डेस्क पर सिर झुका कर थोड़ी देर के लिए सो गया। अचानक, उसे लगा कि कोई उसकी ओर देख रहा है। उसने चौंककर अपनी आंखें खोलीं और देखा कि सामने की दीवार पर एक छाया तेजी से हिलती हुई गुजर गई।
अर्जुन ने सोचा कि यह उसकी नींद की वजह से हो सकता है और उसने इसे नजरअंदाज कर दिया। लेकिन जब उसने अपने बगल के कमरे से अजीब सी आवाजें सुनीं—जैसे कोई बड़बड़ा रहा हो—तो उसकी नींद पूरी तरह टूट गई। उसने सोचा कि शायद वह बूढ़ा मरीज ही कुछ बड़बड़ा रहा होगा, इसलिए वह उसके कमरे की ओर बढ़ा।
अजीब घटनाएं
जब अर्जुन उस कमरे में पहुंचा, तो उसने देखा कि वह बूढ़ा आदमी बिस्तर पर बेसुध पड़ा हुआ था, लेकिन उसके मुंह से खून निकल रहा था। अर्जुन ने तुरंत उसकी नब्ज देखी, लेकिन वह मृत था। उसकी गर्दन पर अजीब निशान थे, जैसे किसी ने उसे दबोच लिया हो। अर्जुन ने तुरंत मदद के लिए पुकारा, लेकिन अस्पताल का वह हिस्सा पूरी तरह खाली था।
तभी अर्जुन को कमरे के एक कोने से अजीब सी फुसफुसाहट सुनाई दी। उसने देखा कि कोने में एक अंधेरे से ढकी हुई आकृति खड़ी थी। आकृति धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगी। अर्जुन ने टॉर्च की रोशनी उस पर डाली, और जो उसने देखा, उससे उसके रोंगटे खड़े हो गए। वह एक बेहद भयानक और विकृत चेहरा था, जो किसी इंसान का नहीं था। उसकी आंखें जलती हुई लाल थीं, और उसके होंठों पर खून की बूंदें टपक रही थीं।
डायन का हमला
अर्जुन ने तुरंत पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा अचानक अपने आप बंद हो गया। वह आकृति अब पूरी तरह से प्रकट हो चुकी थी। वह डायन थी, जिसकी कहानियां गांववाले सुनाया करते थे। डायन ने अर्जुन की ओर अपना हाथ बढ़ाया, और अर्जुन ने महसूस किया कि उसका शरीर ठंडा पड़ता जा रहा है, जैसे उसकी सारी ऊर्जा और जीवन शक्ति उसे खींची जा रही हो।
डायन ने अर्जुन को अपनी पकड़ में ले लिया और उसे बिस्तर पर धकेल दिया। अर्जुन को लगा कि उसकी सांसें घुटने लगी हैं, और उसके शरीर पर जैसे किसी ने जंजीरें बांध दी हों। डायन की आंखें उसके चेहरे के बहुत करीब आ गईं, और उसने अर्जुन के चेहरे पर अपनी लार टपकाई। अर्जुन ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन वह पूरी तरह से बेजान हो गया था।
डायन ने अर्जुन की ओर झुकते हुए धीरे-धीरे उसका जीवन चूसना शुरू कर दिया। अर्जुन को लगा जैसे उसकी आत्मा को खींचा जा रहा हो। उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा, और आखिरी बार उसने डायन के विकृत चेहरे को देखा, जो अब विकृत खुशी से चमक रहा था।
सुबह की सच्चाई
अगली सुबह, जब अस्पताल का स्टाफ अर्जुन के कमरे में पहुंचा, तो उन्होंने उसे बिस्तर पर मृत पाया। उसके चेहरे पर डर का भाव जमे हुए थे, और उसकी आंखें खुली हुई थीं। उसका शरीर बर्फ की तरह ठंडा था, और उसकी गर्दन पर वही अजीब निशान थे, जो उस बूढ़े आदमी की गर्दन पर थे।
इस घटना के बाद, गांववाले और अस्पताल के कर्मचारी पूरी तरह से सहमत हो गए कि डायन अब भी अस्पताल के उस हिस्से में मौजूद है। कोई भी उस जगह पर जाने की हिम्मत नहीं करता था। अर्जुन का मामला उन अजीब मौतों की कड़ी में एक और नाम बन गया, जिसे लोग डायन की हवस का शिकार मानते थे। उस दिन के बाद से अस्पताल का वह हिस्सा पूरी तरह से बंद कर दिया गया, और उसे एक अंधेरे, भूतिया जगह के रूप में छोड़ दिया गया, जहां सिर्फ मौत और डर का साया था।