बंगालियों की संधि पूजा देखिये लखनऊ में

यह 108 दीपक सिर्फ पूजा में बैठने वाली महिलाएं ही प्रज्वलित कर सकती है. संधि पूजा अष्टमी तिथि के आखिरी 24 मिनट और नवमी तिथि के शुरू होने के 24 मिनट तक की जाती है |

बंगालियों की संधि पूजा देखिये लखनऊ में
संधि पूजा शारदीय नवरात्र में अष्टमी के दिन शाम यां रात में होती है. मां दुर्गा की पूजा में 108 दीपक और 108 कमल के अर्पित किए जाते हैं.

संधि पूजा (Sandhi Puja) शारदीय नवरात्र में अष्टमी के दिन शाम यां रात में होती है. मां दुर्गा की पूजा में 108 दीपक और 108 कमल के फूल और अन्य फल, फूल चावल,मेवा और गहने भी अर्पित किए जाते हैं. यह 108 दीपक सिर्फ पूजा में बैठने वाली महिलाएं ही प्रज्वलित कर सकती है. संधि पूजा अष्टमी तिथि के आखिरी 24 मिनट और नवमी तिथि के शुरू होने के 24 मिनट तक की जाती है. संधि पूजा का शुभारंग घंटी बजाकर किया जाता है और मंत्रो का उच्चारण करके माता की आरती की जाती है और मां दुर्गा की बंगाली विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन लोग पारंपरिक वेष भूषा पहन के ढोल नगाड़ों के साथ मां दुर्गा की पूजा करते हैं.

संधि पूजा क्यों मनाई जाती है
माना जाता है कि जिस समय मां चामुण्डा और महिषासुर के बीच में भयंकर युद्ध हो रहा था. उस समय चण्ड और मुंड नाम के दो राक्षसों ने माता चामुण्डा की पीठ पर वार कर दिया था. जिसके बाद माता का मुख क्रोध के कारण नीला पड़ गया और माता ने दोनों राक्षस चण्ड और मुंड का वध कर दिया. जिस समय माता ने इन दोनों राक्षसों का वध किया था वह समय संधि काल का ही था.
संधि पूजा का विशेष महत्व होता है. इस मुहूर्त को बहुत बलशाली मुहूर्त माना जाता है. संधि पूजा को बंगाल में विशेष रूप से मनाया जाता है. संधि पूजा में कद्दू और ककड़ी की बलि देने का भी रिवाज है. इनकी बलि के बाद मां दुर्गा के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है. अंत में मां दुर्गा की पूजा करके उनकी आरती उतारी जाती है उसके बाद सभी लोग ढ़ोल नागाड़े पर नाचते है और अपनी खुशी प्रकट करते है.