अफगानी महिला फिल्म डायरेक्टर की आपबीती:अचानक गोलीबारी शुरू हो गई, बैंक मैनेजर ने पिछले दरवाजे से बाहर निकाला; रातोंरात काबुल छोड़कर यूक्रेन जाना पड़ा
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अफगानिस्तान पर इस समय तालिबान का राज है। तालिबानी लड़ाके देश पर अपना शासन चला रहे हैं। इसका सबसे बुरा असर अफगानी महिलाओं और बच्चों पर पड़ा है। अफगानिस्तान में मची अफरा-तफरी के बीच वहां की फेमस महिला फिल्म डायरेक्टर सहारा करीमी ने अपनी आपबीती सुनाई है। सहारा करीमी इंग्लिश, पर्सियन, स्लोवक और चेक भाषाएं काफी अच्छे से जानती हैं।
सहारा करीमी ने बताया कि अफगानिस्तान के हालात डरावने हैं। यह बेहद जरूरी है कि इन घटनाओं का डॉक्यूमेंटेशन कर लिया जाए, ताकि आने वाले समय में दुनिया अफगानिस्तान के इस कठिन समय को भूल न जाए।
फिल्म कम्युनिटी को पत्र लिखा था
करीमी ने इससे पहले दुनियाभर की फिल्म कम्युनिटी को पत्र लिखकर तालिबान के जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की थी। उनका पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। अपने पत्र में उन्होंने बताया था कि 15 अगस्त को वे पैसे निकालने बैंक पहुंची। काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी उन्हें पैसे नहीं मिले।
अचानक बाहर गोलियां चलने की आवाज आने लगी। बैंक मैनेजर ने करीमी के पास आकर, उन्हें वहां से चले जाने के लिए कहा। मैनेजर ने उनसे कहा कि अफगानिस्तान में आपको सभी जानते हैं, तालिबानी काबुल के बेहद नजदीक पहुंच चुके हैं, इसलिए आपको यहां से चले जाना चाहिए। फिल्म डायरेक्टर ने बताया कि बैंक मैनेजर ने पिछला दरवाजा खोलकर मुझे वहां से बाहर निकाला।
काबुल की सड़क से वीडियो जारी किया था
तालिबान के अफगानिस्तान में कब्जा करने के बाद 38 साल की करीमी को रातोंरात काबुल छोड़ना पड़ा था। वे इस समय यूक्रेन की राजधानी कीव में हैं। उन्होंने इससे पहले काबुल की सड़कों में घूमते हुए एक वीडियो रिकॉर्ड कर वहां की स्थिति बताई थी। सोशल मीडिया पर वीडियो काफी वायरल हुआ था। करीमी हवा, मरियम, आयशा जैसी फेमस फिल्में बना चुकी हैं। इन फिल्मों में अफगानिस्तान की महिलाओं की जिंदगी के बारे में बताया गया है।
फिल्मों से पता चलता है, 90 के दशक में तालिबानी कितने खूंखार थे
करीमी अफगान फिल्म ऑर्गेनाइजेशन की पहली महिला डायरेक्टर हैं। उन्होंने कहा कि 1990 में भी तालिबान ने देश पर कब्जा कर लिया था। उस दौर के रिकॉर्ड आज भी मौजूद हैं। करीमी ने कहा कि 90 के दशक में तालिबानी कितने खूंखार थे। ये जानने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम उस समय उन पर बनी फिल्में देखें। उन फिल्मों के जरिए हम समझ सकते हैं कि तालिबानी खासतौर पर महिलाओं के साथ किस तरह पेश आते थे।